चरण 1: प्रश्न को समझें
यह प्रश्न दी गई काव्य पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार (figure of speech) की पहचान करने के लिए कहता है। अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो शब्दों या अर्थों में चमत्कार उत्पन्न करते हैं। यह हिंदी व्याकरण और काव्यशास्त्र से संबंधित है।
चरण 2: दी गई काव्य पंक्ति का अर्थ समझें
पंक्ति है: "हनुमान की पूँछ में, लगी न पायी आग, लंका सिगरी जरी गयी, गये निशाचर भाग"
शाब्दिक अर्थ: हनुमान की पूँछ में आग ठीक से लग भी नहीं पाई थी (या लगाने का प्रयास चल ही रहा था), लेकिन (उसके प्रभाव से) सारी लंका जलकर भस्म हो गई और सभी राक्षस (निशाचर) भाग खड़े हुए।
भावार्थ: यहाँ यह दर्शाया गया है कि हनुमान की पूँछ में आग लगाने से पहले ही या आग लगने के तुरंत बाद ही, लंका जल गई और राक्षस भाग गए। यह घटना के असाधारण रूप से तीव्र और व्यापक होने का वर्णन है।
चरण 3: विभिन्न अलंकारों के लक्षणों का विश्लेषण करें
(A) रूपक अलंकार (Metaphor): जब उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) और उपमान (जिससे तुलना की जाए) में कोई भेद न करके उन्हें एक ही मान लिया जाए। (जैसे: चरण-कमल)। इस पंक्ति में ऐसा कोई आरोप नहीं है।
(B) श्लेष अलंकार (Pun/Double Entendre): जब एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हों और वे सभी अर्थ प्रसंगानुसार उपयुक्त हों। इस पंक्ति में किसी शब्द के ऐसे अनेक अर्थ नहीं हैं।
(C) अतिशयोक्ति अलंकार (Hyperbole): जब किसी बात का बढ़ा-चढ़ाकर, लोक-मर्यादा या संभव सीमा से अधिक वर्णन किया जाए, ताकि कथन में चमत्कार या प्रभाव उत्पन्न हो।
इस पंक्ति में कहा गया है कि हनुमान की पूँछ में आग लगी भी नहीं थी (या बहुत कम लगी थी), और पूरी लंका जल गई। यह बात लोक व्यवहार में असंभव और अत्यंत बढ़ा-चढ़ाकर कही गई है। यह हनुमान जी के पराक्रम और लंका दहन की तीव्रता का अतिरंजित वर्णन है। अतः, यह अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है।
(D) भ्रांतिमान अलंकार (Illusion/Misconception): जब उपमेय को भ्रमवश उपमान मान लिया जाए और उपमेय में उपमान का भ्रम हो जाए। (जैसे: ओस बिंदु चुग रही हंसिनी, मोती जान)। इस पंक्ति में ऐसा कोई भ्रम नहीं है।
चरण 4: सही उत्तर की पहचान करें
काव्य पंक्ति में घटना का अत्यंत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है, जो अतिशयोक्ति अलंकार का स्पष्ट लक्षण है।
सही उत्तर है $\boxed{\text{(C) अतिशयोक्ति}}$।