Comprehension

अधोलिखित गद्य खंड पर आधारित प्रश्नों के उत्तर हिंदी अथवा संस्कृत में दीजिए:

गते च तस्मिन्गन्धवाराजपुरी, विष्णुय सकलं सृजनं परीञ्जनं च प्रसादम आरोह। तब च शनयि विपण्य एकतकी एवं चितनायामास - "अहे! किंचित् आर्तं चपलय मया न परीक्षितः अस्य चिन्तवृद्धि।"

 परिवर्तक: कुलकसिंचनं क्रमः! गुरुं जातं न अस्तं। लोकापवादात् नोहिंम्, आसन्नवर्ती सृजनजः उपलश्रवचिति मन्द्या त्यां न लक्ष्मः तथा महश्वेतोविकर्षण प्रतिष्ता कुतं अभा तातां वा ? किं कोइम्? कनोपायण स्थितिं इदं प्रच्छदायं? पूर्वकृतपुषप्सरचनायं अनीतो तम विस्रांस्मक: चन्द्रबिंदु'' इतिसंक्षेपं गुरिम् लज्जाम् उवाच!

Question: 1

उपर्युक्त गद्यांश किस पुस्तक से लिया गया है?

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संस्कृत गद्यांश का स्रोत हमेशा सही पहचानें और उसके संदर्भ का विश्लेषण करते हुए गद्यांश की वास्तविकता को समझें।
Updated On: Sep 26, 2025
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पुस्तक का नाम:
यह गद्यांश संस्कृत के प्रसिद्ध ग्रंथों में से एक ग्रंथ से लिया गया है, जिसका नाम ‘भागवतम’ है। यह गद्यांश विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है। इसमें उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं और उनके संवादों को चित्रित किया गया है।
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Question: 2

“आसनवत्ति, सभीजनोषि उषलक्षयती मद्या न लिखितं” गद्यांश का अनुवाद कीजिए।

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अनुवाद करते समय, शब्दों के सही अर्थ का ध्यान रखते हुए उनके भावनात्मक और सामाजिक संदर्भ को भी समझना महत्वपूर्ण होता है।
Updated On: Sep 26, 2025
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अनुवाद:
यह वाक्य यह दर्शाता है कि जो लोग अपनी भौतिक इच्छाओं के प्रति अत्यधिक लालची होते हैं, उनका अंत नहीं होता। उनका मन सदैव वासनाओं और इच्छाओं से भरा रहता है, और वह किसी भी प्रकार की भलाई को नहीं समझते। यह उनका मानसिक भ्रम होता है, जो उन्हें संतुलित जीवन जीने से रोकता है। उनके लिए जीवन केवल भोग और आनंद का माध्यम बन जाता है, और इसलिए वे किसी भी प्रकार की मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति नहीं कर पाते।
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Question: 3

गध्यार्थाजुंति, विश्वं सकलं सृष्टिजन्म पर्यजन च कुशल आरोह ?

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गद्यांश में भगवान के अस्तित्व और उनकी रचनात्मक शक्ति के विषय को समझते हुए, उनके धार्मिक दृष्टिकोण का महत्व समझना आवश्यक है।
Updated On: Sep 26, 2025
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वास्तविक अर्थ:
यह गद्यांश यह समझाता है कि संसार के सभी प्राणी भगवान के द्वारा उत्पन्न किए गए हैं। वे भगवान के आदेश और नियंत्रण के तहत ही इस संसार में जीवन जीते हैं। यह गद्यांश उन लोगों की मानसिकता को चित्रित करता है जो भगवान के नियंत्रण में संसार की सृष्टि और उसकी व्यवस्था को समझते हैं। वे व्यक्ति जो भगवान को सर्वोच्च सत्ता मानते हैं, वे संसार के हर एक तत्व को पवित्र और धर्मपूर्ण मानते हैं।
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Question: 4

‘विवृद्धा’ का शाब्दिक अर्थ लिखिए।

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शब्दों के शाब्दिक अर्थ को समझते समय उनके सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों का भी ध्यान रखें।
Updated On: Sep 26, 2025
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शाब्दिक अर्थ:
‘विवृद्धा’ शब्द संस्कृत के ‘वृद्ध’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है वृद्ध, वृद्धावस्था, या कोई ऐसा व्यक्ति जो समय के साथ वृद्ध हो गया हो। ‘विवृद्धा’ का शाब्दिक अर्थ है वृद्ध हुई, या वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही। यह शब्द सामान्यतः किसी महिला या किसी अन्य प्राणी के वृद्ध होने के संदर्भ में उपयोग किया जाता है।
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Question: 5

‘श्यामिनी’ में कौन सी विशेषता है?

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‘श्यामिनी’ शब्द का प्रयोग विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए किया जाता है, जिनकी सुंदरता कृष्ण की तरह मानी जाती है।
Updated On: Sep 26, 2025
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विशेषता:
‘श्यामिनी’ शब्द में ‘श्याम’ का अर्थ है कृष्ण या काले रंग का, और ‘नी’ का अर्थ है स्त्रीलिंग। ‘श्यामिनी’ का तात्पर्य एक महिला से है, जो श्याम (काले) रंग की हो या जिनका रूप कृष्ण के समान हो। यह शब्द भारतीय साहित्य और संस्कृति में विशेष रूप से प्रेम, सौंदर्य, और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है।
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