स्पष्टीकरण:
धमार ताल में कुल 14 मात्राएँ होती हैं, जो इसे एक विस्तृत और जटिल ताल बनाती हैं। यह ताल विशेष रूप से ध्रुपद गायन और नृत्य में प्रयुक्त होता है, जहाँ इसकी लय और संरचना का पूरा प्रभाव महसूस किया जाता है।
धमार ताल की खाली (जो कि शून्य या निस्तब्धता की स्थिति होती है) 10वीं मात्रा पर पड़ती है। यह व्यवस्था ताल की लय और गतिशीलता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब खाली 10वीं मात्रा पर होती है, तो यह ताल के संपूर्ण चक्र में एक विशेष संतुलन और व्यावसायिकता बनाए रखती है।
धमार ताल की यह विशेषता इसे शास्त्रीय संगीत में एक प्रतिष्ठित ताल बनाती है। इसके व्यवस्थित ताली और खाली की व्यवस्था श्रोताओं को एक लयबद्ध और समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।
इस प्रकार, धमार ताल में कुल 14 मात्राएँ होती हैं और इसकी खाली 10वीं मात्रा पर पड़ती है, जो ताल की लयबद्धता और गहराई को सुनिश्चित करती है।