'अनुप्रास' अथवा 'उत्प्रेक्षा' अलङ्कार का लक्षण एवं उदाहरण लिखिए
अनुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी कविता या गद्य में किसी विशेष ध्वनि या वर्ण का पुनरावृत्ति होती है। इसमें शब्दों के पहले या अंत में समान ध्वनियों का प्रयोग होता है, जिससे संगीतात्मकता और माधुर्यता उत्पन्न होती है।
लक्षण: 'अनुप्रास' में दो या दो से अधिक शब्दों में समान ध्वनियां या स्वर होते हैं।
उदाहरण: "नदी में नौका, नाव में नायक" - यहाँ 'न' ध्वनि की पुनरावृत्ति हुई है।
उत्प्रेक्षा अलंकार तब होता है जब किसी वस्तु या परिस्थिति के माध्यम से कोई अन्य अर्थ या भाव व्यक्त किया जाता है। यह अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य विचार या विचारधारा को प्रकट करता है।
लक्षण: उत्प्रेक्षा में किसी वस्तु या घटना के द्वारा अन्य अर्थ की ओर संकेत किया जाता है।
उदाहरण: "चाँद को देखा तो प्रिय की याद आई" - यहाँ चाँद के माध्यम से प्रिय की याद का भाव व्यक्त हो रहा है।
‘रूपक’ अलंकार का उदाहरण संस्कृत में लिखिए।
‘उपमा’ अलंकार की परिभाषा हिंदी या संस्कृत में लिखिए।
अधोलिखित में से किसी एक श्लोक की हिंदी में सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
पुराणश्री: पुरस्त्वतां प्रवेश्य पौरशिन्ध्यान्मन्।
भुजे भुजंस्त्रसमानारो यथ: स भूमृधीरसस्मजज
अधोलिखित में से किसी एक श्लोक की हिंदी में सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
एतावदुक्त्वा विरते मृगेन्द्रे प्रतिक्वेना गृहाणते।
सिलोन्यवोऽपि क्षितिपालमुखे: प्रियया तमेवाभिमृच्छते॥
उपमालङ्कारस्य लक्षणम् एतत् क्रमेण व्यवस्थापयत ।
(A) उपमा
(B) वाक्यैक्य
(C) साम्यम्
(D) द्वयोः
(E) वाच्यमवैधर्म्यम्
अधोलिखितेषु विकल्पेषु उचिततमम् उत्तरं चिनुत-