अलंकार ‘सात’ प्रकार के होते हैं |
अलंकार शब्द संस्कृत शब्द "अलंकार" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "सजावट" या "सुशोभा"। भारतीय संगीत और काव्यशास्त्र में, अलंकार ध्वनि, वाक्य या छंद को सुंदर, आकर्षक और सजावटी बनाने के लिए उपयोग होने वाले तत्वों को संकेत करता है।
सात अलंकार कुछ इस प्रकार हैं: उपमा, यमक,अनुप्रास, अपभ्रंश, श्लेष, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति|
ये कुछ मुख्य अलंकार प्रकार हैं, जो काव्यशास्त्र में उपयोग होते हैं। इन अलंकारों के माध्यम से, कवि और संगीतकार वाणी को सुंदरता, आकर्षकता और शृंगार का अनुभव देते हैं।
‘रूपक’ अलंकार का उदाहरण संस्कृत में लिखिए।
‘उपमा’ अलंकार की परिभाषा हिंदी या संस्कृत में लिखिए।
अधोलिखित में से किसी एक श्लोक की हिंदी में सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
पुराणश्री: पुरस्त्वतां प्रवेश्य पौरशिन्ध्यान्मन्।
भुजे भुजंस्त्रसमानारो यथ: स भूमृधीरसस्मजज
अधोलिखित में से किसी एक श्लोक की हिंदी में सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
एतावदुक्त्वा विरते मृगेन्द्रे प्रतिक्वेना गृहाणते।
सिलोन्यवोऽपि क्षितिपालमुखे: प्रियया तमेवाभिमृच्छते॥
उपमालङ्कारस्य लक्षणम् एतत् क्रमेण व्यवस्थापयत ।
(A) उपमा
(B) वाक्यैक्य
(C) साम्यम्
(D) द्वयोः
(E) वाच्यमवैधर्म्यम्
अधोलिखितेषु विकल्पेषु उचिततमम् उत्तरं चिनुत-
अलंकार भारतीय साहित्य और भाषा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक उपकरण है, जिसे कविता और पद्य रचनाओं में उपयोग किया जाता है। शब्द "अलंकार" स्वरूप, सौन्दर्य, आभूषण या सजीवता का संकेत है। इसे व्याकरण, छंदशास्त्र, और कविता शास्त्र के माध्यम से समझा जा सकता है।
अलंकार भाषा को सुंदर और भाषान्तरित करने का कारगर तरीका प्रदान करता है, जिससे शब्दों का उद्दीपन होता है और रस, भावना, और भाव को उत्तेजित करने का कारगर माध्यम बनता है। अलंकार कविता में विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि अपभ्रंश, उपमेय, अनुप्रास, यमक, अनुप्रास, उपमेय, अध्याहार, रूपक, अपशब्द, अत्यंतालंकार, अनुनासिक, इत्यादि।
अलंकार के माध्यम से कवि अपने रचनाओं में विचारों, अभिव्यक्तियों और अनुभवों को सुंदरता के साथ प्रस्तुत करता है और पाठकों को गहरी अनुभूति में लेने का अवसर प्रदान करता है।