Here are the journal entries in the books of Ajanta Ltd:
Date | Particulars | L.F. | Debit (₹) | Credit (₹) |
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1. | Machinery A/c | 36,00,000 | ||
To Sujata Ltd. | 36,00,000 | |||
(Purchased machinery from Sujata Ltd.) | ||||
2. | Sujata Ltd. | 36,00,000 | ||
To Bank A/c | 18,00,000 | |||
To 8% Debentures A/c | 16,20,000 | |||
To Discount on issue of debentures | 1,80,000 | |||
(Payment to Sujata Ltd. Half by bank, balance by issuing debentures at 10% discount) |
In the second journal entry, ₹16,20,000 the amount paid has been calculated as
20,000 * 81 = 16,20,000
The Discount will be = 20,000 * 9 = 180,000
If \[ A = \begin{bmatrix} 2 & -3 & 5 \\ 3 & 2 & -4 \\ 1 & 1 & -2 \end{bmatrix}, \] find \( A^{-1} \).
Using \( A^{-1} \), solve the following system of equations:
\[ \begin{aligned} 2x - 3y + 5z &= 11 \quad \text{(1)} \\ 3x + 2y - 4z &= -5 \quad \text{(2)} \\ x + y - 2z &= -3 \quad \text{(3)} \end{aligned} \]
‘सूरदास की झोंपड़ी’ से उद्धृत कथन “हम सो लाख बार घर बनाएँगे” के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक सोच का होना क्यों अनिवार्य है।
शिवालिक की सूखी नीसर पहाड़ियों पर मुस्कुराते हुए ये वृक्ष खड़ेताली हैं, अलमस्त हैं~।
मैं किसी का नाम नहीं जानता, कुल नहीं जानता, शील नहीं जानता पर लगता है,
ये जैसे मुझे अनादि काल से जानते हैं~।
इनमें से एक छोटा-सा, बहुत ही भोला पेड़ है, पत्ते छोटे भी हैं, बड़े भी हैं~।
फूलों से तो ऐसा लगता है कि कुछ पूछते रहते हैं~।
अनजाने की आदत है, मुस्कुराना जान पड़ता है~।
मन ही मन ऐसा लगता है कि क्या मुझे भी इन्हें पहचानता~?
पहचानता तो हूँ, अथवा वहम है~।
लगता है, बहुत बार देख चुका हूँ~।
पहचानता हूँ~।
उजाले के साथ, मुझे उसकी छाया पहचानती है~।
नाम भूल जाता हूँ~।
प्रायः भूल जाता हूँ~।
रूप देखकर सोच: पहचान जाता हूँ, नाम नहीं आता~।
पर नाम ऐसा है कि जब वह पेड़ के पहले ही हाज़िर हो ले जाए तब तक का रूप की पहचान अपूर्ण रह जाती है।