आधार कार्ड पर जाति का उल्लेख नहीं होता है। आधार कार्ड भारतीय नागरिकों के लिए एक विशिष्ट पहचान पत्र है, जो भारतीय नागरिकों की पहचान को सुरक्षित और सुनिश्चित करता है। यह कार्ड एक अद्वितीय संख्या, नाम, उम्र, पता, और बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैन) शामिल करता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि नागरिकों की पहचान को एक सुसंगत और प्रमाणिक तरीके से किया जा सके, ताकि किसी भी सरकारी या निजी सेवा में उनके सत्यापन में आसानी हो सके।
आधार कार्ड के डिज़ाइन और उद्देश्यों के पीछे यह विचार है कि यह समानता और सार्वभौमिकता को बढ़ावा दे, और इसलिए इसमें जाति का कोई उल्लेख नहीं किया जाता है। आधार कार्ड का उद्देश्य भारतीय नागरिकों को एक समान पहचान देना है, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या क्षेत्र कोई भी हो। यह सरकारी योजनाओं और सेवाओं को लाभार्थियों तक पहुँचाने का एक प्रभावी तरीका है, बिना किसी प्रकार के जातिगत या सामाजिक भेदभाव के।
इसके अलावा, भारतीय संविधान में भी समानता का अधिकार सुनिश्चित किया गया है, और आधार कार्ड का डिज़ाइन उसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह नागरिकों को एक सुरक्षित, पारदर्शी, और निष्पक्ष तरीके से सरकारी सेवाओं का लाभ प्रदान करने में मदद करता है।
अतः, आधार कार्ड जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने के बजाय, समावेशी और समान अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस प्रकार, आधार कार्ड में जाति का उल्लेख न करके भारतीय सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि यह किसी भी प्रकार के सामाजिक और जातिगत भेदभाव से मुक्त रहे।