We use the Biot–Savart law for a finite straight conductor:
\[ \vec{B} = \frac{\mu_0 I}{4\pi r} (\sin\theta_1 + \sin\theta_2)\hat{n} \]
where:
So the approximate magnetic field is:
\[ B = \frac{4\pi \times 10^{-7} \times 1}{4\pi \times \sqrt{2}} \times 2 \times \frac{0.005}{\sqrt{2}} = \frac{10^{-7} \cdot 2 \cdot 0.005}{2} = \frac{10^{-7} \cdot 0.005}{\sqrt{2}} = \frac{5.0 \times 10^{-10}}{\sqrt{2}} \, \text{T} \]
Option (C) \( \frac{5.0 \times 10^{-10}}{\sqrt{2}} \, \text{T} \) is correct.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
‘‘पुर्ज़े खोलकर फिर ठीक करना उतना कठिन काम नहीं है, लोग सीखते भी हैं, सिखाते भी हैं, अनाड़ी के हाथ में चाहे घड़ी मत दो पर जो घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास कर आया है उसे तो देखने दो । साथ ही यह भी समझा दो कि आपको स्वयं घड़ी देखना, साफ़ करना और सुधारना आता है कि नहीं । हमें तो धोखा होता है कि परदादा की घड़ी जेब में डाले फिरते हो, वह बंद हो गई है, तुम्हें न चाबी देना आता है न पुर्ज़े सुधारना तो भी दूसरों को हाथ नहीं लगाने देते इत्यादि ।’’