Question:

वर्जित स्वर और विकृत स्वर किसे कहते हैं ?

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वर्जित और विकृत स्वरों का ज्ञान राग की सही प्रस्तुतिकरण में मदद करता है और उसे समृद्ध बनाता है।
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Solution and Explanation

वर्जित स्वर:
वर्जित स्वर वह स्वर होते हैं जिन्हें किसी विशेष राग में प्रयोग करने की अनुमति नहीं होती। ये स्वर राग की भावनाओं और लय में दोष उत्पन्न कर सकते हैं, और इसलिए उन्हें राग में नकारा जाता है। उदाहरण के रूप में, राग भैरव में रे और को वर्जित स्वर माना जाता है, जबकि राग यमन में और नि को वर्जित स्वर माना जाता है। विकृत स्वर:
विकृत स्वर वह स्वर होते हैं जो स्वाभाविक रूप से ठीक नहीं होते, यानी उन्हें सही ढंग से गाया नहीं जाता। यह स्वर कभी-कभी राग में उनकी आवश्यकता के अनुसार कोमल या तीव्र स्वर से बदले जाते हैं, लेकिन वे आमतौर पर अस्थिर होते हैं। विकृत स्वर का प्रयोग गायक द्वारा राग की भावना को व्यक्त करने के लिए किया जाता है, उदाहरण स्वरूप, राग भैरव में ऋषभ और धैवत को विकृत स्वर में बजाया जा सकता है।
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