स्वर-संधि के कितने भेद होते हैं?
स्वर-संधि के पाँच प्रमुख भेद होते हैं: दीर्घ-संधि: जब दो स्वर मिलकर एक दीर्घ स्वर (लंबा स्वर) का रूप धारण करते हैं। उदाहरण: "नदी" + "के" = "नदीके"। गुण-संधि: जब एक स्वर का गुणात्मक परिवर्तन होता है, जैसे अ + आ = आ। यण-संधि: जब स्वरों के मिलन से 'य' का प्रयोग होता है। उदाहरण: "मूल" + "आकर्षण" = "मूलाकर्षण"। अयादि-संधि: इसमें स्वर के बाद आने वाले स्वर के कारण परिवर्तन होता है। उदाहरण: "नदी" + "के" = "नदीके"। कृदंत-संधि: जब क्रिया से उत्पन्न होने वाला प्रत्यय किसी स्वर के साथ मिलकर स्वर परिवर्तन करता है।
उदाहरण: "चल" + "इसी" = "चलीसी"।
मैं तुमसे हमेशा पाँच साल बड़ा रहूँगा। (संयुक्त वाक्य में बदलिए।)
एक ललित निबंध लिखो जो चार पंक्तियों से कम न हो। (संग पदवृत्त छाँटकर लिखिए।)
वह इतनी-सी बात भी समझ नहीं सकता है। (क्रिया पदवृत्त छाँटकर लिखिए।)
भाई साहब ने अपने दर्जी की पढ़ाई का भयंकर चित्र खींचा था। (रेखांकित पदवृत्त का भेद लिखिए।)
सफल खिलाड़ी का कोई निशाना खाली नहीं जाता। (मिश्र वाक्य में बदलिए।)