चरण 1: रचना की पहचान। 
आर. के. मर्टन का निबंध "Social Structure and Anomie" 1938 में American Journal of Sociology में प्रकाशित हुआ। यह अपराध व विचलन के समाजशास्त्रीय अध्ययन की आधारभूत रचनाओं में गिना जाता है। 
चरण 2: मूल तर्क समझें। 
मर्टन ने दुर्कीम की एनोमी (मानदण्ड-विघटन) धारणাকে अमेरिकी संदर्भ में रूपान्तरित किया। समाज सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे आर्थिक सफलता) तो सबके सामने रखता है, पर वैध साधन (शिक्षा, अवसर, नौकरी) सभी को समान रूप से उपलब्ध नहीं करवाता। लक्ष्यों–साधनों के असंतुलन से तनाव/स्ट्रेन पैदा होता है और लोग पाँच प्रकार की अनुकूलनों की ओर बढ़ते हैं— 
 1) Conformity (लक्ष्य+ साधन+), 
 2) Innovation (लक्ष्य+ साधन−; उदा. अवैध कमाई), 
 3) Ritualism (लक्ष्य− साधन+), 
 4) Retreatism (लक्ष्य− साधन−), 
 5) Rebellion (नये लक्ष्य/साधन प्रस्तावित)। 
चरण 3: निष्कर्ष। 
अतः 'सोशल स्ट्रक्चर ऐण्ड एनोमी' के लेखक आर. के. मर्टन हैं; उन्होंने दिखाया कि संरचनात्मक विषमता कैसे विचलन को जन्म देती है।