Question:

निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए : 
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा "मैं कहाँ हूँ ?"
"आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना। 

(4) सार्वजनिक रुग्णालयों की स्थिति के बारे में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। 
 

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स्वमत अभिव्यक्ति के प्रश्नों में, अपने विचार संतुलित और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करें। आप समस्या के साथ-साथ उसके समाधान का एक संक्षिप्त संकेत भी दे सकते हैं। शब्द सीमा का ध्यान रखें।
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Concept:
यह एक स्वमत अभिव्यक्ति का प्रश्न है। इसमें आपको सार्वजनिक अस्पतालों की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार प्रस्तुत करने हैं। उत्तर गद्यांश में लेखक के विचारों से प्रेरित हो सकता है।

Step 2: Detailed Explanation:
गद्यांश में लेखक ने सार्वजनिक अस्पतालों के प्रति अपना डर व्यक्त किया है, जो आम तौर पर उनकी खराब स्थिति को दर्शाता है। इसी आधार पर एक विचार व्यक्त किया जा सकता है।
नमूना उत्तर:
सार्वजनिक रुग्णालयों की स्थिति अक्सर चिंताजनक होती है। यहाँ संसाधनों की कमी, स्वच्छता का अभाव और कर्मचारियों के रूखे व्यवहार जैसी समस्याएँ आम हैं। यद्यपि वे गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा हैं, फिर भी उनकी गुणवत्ता में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।

Step 3: Final Answer:
सार्वजनिक अस्पतालों में अक्सर स्वच्छता, सुविधाओं और उचित देखभाल की कमी होती है। हालांकि ये अस्पताल गरीबों के लिए जीवन रक्षक हैं, पर इनकी व्यवस्था में सुधार की बहुत गुंजाइश है।

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