रजाखानी गत एक विशेष प्रकार की तालबद्ध धारा होती है जो ठुमरी, दादरा, और अन्य शास्त्रीय गायन में उपयोग की जाती है। इसे विशेष रूप से ठुमरी गायकी में प्रयोग किया जाता है, जिसमें त्वरित गति (द्रुत लय) और सुगम ध्वनियों का प्रयोग होता है। रजाखानी गत का उद्देश्य राग के भाव को तीव्रता से व्यक्त करना होता है। यह धीमे से लेकर तेज गति तक हो सकती है, और राग में संप्रेषण की शक्ति को बढ़ाती है।