राग देश में कुल 8 मात्राओं की दो प्रमुख तानें होती हैं, जो राग के आरोह और अवरोह को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। ये तानें राग की विशेषता को उजागर करती हैं और संगीतकारों के द्वारा प्रस्तुति में विशेष स्थान रखती हैं।
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1. \textit{सा-रे-गा-मा-पा-धि-नि-सा}
\hspace{1.5em} (पहली तान: आरोह)
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यह तान राग देश के आरोह को दर्शाती है, जिसमें स्वरों को क्रमशः नीच से उच्च की ओर चढ़ाया जाता है। आरोह का उद्देश्य स्वरों को एक सकारात्मक दिशा में बढ़ाना होता है। इस तान के द्वारा राग के स्वरों का क्रम सा-रे-गा-मा-पा-धि-नि-सा इस प्रकार होता है।
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2. \textit{सा-नि-धि-पा-मा-गा-रे-सा}
\hspace{1.5em} (दूसरी तान: अवरोह)
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यह तान राग देश के अवरोह को दर्शाती है, जिसमें स्वरों को उच्च से नीच की ओर घटाया जाता है। अवरोह का उद्देश्य स्वरों को एक निराश या गिरती हुई दिशा में प्रस्तुत करना होता है। इस तान के द्वारा राग के स्वरों का क्रम सा-नि-धि-पा-मा-गा-रे-सा इस प्रकार होता है।