स्पष्टीकरण:
राग भैरव का वादी स्वर धैवत (ध) होता है।
- राग भैरव एक महत्वपूर्ण और आदिक राग है, जो प्रातःकाल के समय गाया जाता है। यह राग अपनी गंभीरता और भक्तिपूर्ण स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है, और इसे शास्त्रीय संगीत में विशेष स्थान प्राप्त है।
- राग भैरव में धैवत (ध) स्वर को वादी स्वर के रूप में चुना गया है, जो राग की विशिष्टता और भावनात्मक गहराई को प्रकट करता है।
- वादी स्वर वह स्वर होता है जो राग के प्रवृत्त रूप को निर्धारित करता है और जिसका गायन या वादन राग की पूरी भावनात्मक प्रस्तुति में मुख्य भूमिका निभाता है। धैवत (ध) का प्रयोग राग भैरव में इस राग के विशिष्ट प्रभाव और गंभीरता को दर्शाता है।
- आरोह और अवरोह में धैवत स्वर का विशेष महत्व है, और इसे राग की संरचना में स्थायित्व और संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- राग भैरव का स्वरूप प्रायः गंभीर, भावनात्मक, और सार्वभौमिक होता है, जो श्रोता को एक विशिष्ट भक्ति और शांति का अनुभव कराता है।
इस प्रकार, राग भैरव का वादी स्वर धैवत (ध) होता है, जो राग के गंभीर और भक्तिपूर्ण स्वरूप को स्पष्ट करता है।