राग भैरव में वादी स्वर सा (Shuddha Sa) और सम्वादी स्वर ध (Shuddha Dha) होते हैं। यह राग शुद्ध और गंभीर स्वर में गाया जाता है, और इसके आरोह-अवरोह में शुद्ध स्वरों का ही प्रयोग होता है।
पकड़:
राग भैरव की पकड़ विशेष रूप से तान, बोल, या लय के रूप में होती है, और इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
\[
\text{सा-ध-नि-सा, सा-ध-नि-पा-ध, ध-नि-सा-पा-ध}
\]
यह राग प्रातःकालीन राग है और इसकी गंभीरता और ठहराव इसे विशेष बनाती है।