कंपनियाँ पूँजी स्टॉक का आकार अपेक्षित बिक्री और क्षमता उपयोग के आधार पर तय करती हैं। जब समष्टि माँग और आय बढ़ती है, तो एक्सीलरेटर सिद्धान्त के अनुसार वांछित पूँजी‑उत्पादन अनुपात बरकरार रखने के लिए निवेश में अनुपात से अधिक वृद्धि हो सकती है; यह प्रेरित निवेश कहलाता है। इसके विपरीत, आय घटने पर पूँजी स्टॉक अधिशेष होने से नया निवेश रुक जाता है और केवल प्रतिस्थापन किया जाता है। स्वायत्त निवेश सड़क, बांध, रक्षा, अनुसंधान या नयी तकनीक जैसी योजनाओं से प्रेरित होता है और आय से स्वतंत्र माना जाता है। व्यापार चक्रों में प्रेरित निवेश का चक्रवृद्धि प्रभाव आय को ऊपर‑नीचे करता है, इसलिए स्थिरीकरण नीति निवेश अपेक्षाओं और ऋण‑शर्तों को संतुलित रखने पर जोर देती है।