प्रसामाजिकता का उद्देश्य अन्य का कल्याण है। प्रेरक तत्त्व—सहानुभूति, नैतिक दायित्व, सामाजिक मान्यता और त्वरित लागत–लाभ आकलन। परवरिश में मॉडलिंग, सकारात्मक प्रोत्साहन और भाव–नियमन प्रशिक्षण इसे बढ़ाते हैं। आपदा या भीड़ की स्थितियों में ``दर्शक–प्रभाव'' से लोग निष्क्रिय हो सकते हैं; स्पष्ट भूमिका और जिम्मेदारी बाँटने से मदद बढ़ती है। स्कूलों में सेवा–अधिगम, सहपाठी–समर्थन और सहयोगी परियोजनाएँ प्रसामाजिक प्रवृत्तियाँ गढ़ती हैं। दीर्घकाल में यह विश्वास, सुरक्षा और सामाजिक पूँजी को बढ़ाकर समुदाय को सुदृढ़ बनाता है।