पर्यावरणीय मनोविज्ञान ``व्यक्ति–स्थान फ़िट'' पर केन्द्रित है। शोर से तनाव और त्रुटियाँ बढ़ती हैं; हरियाली बहाली और ध्यान पुनर्स्थापित करती है; भीड़ नियंत्रण–बोध घटाती है; प्रकाश/तापमान से मूड व प्रदर्शन बदलता है। मार्गदर्शी डिज़ाइन, कक्षा–व्यवस्था, खेलने की जगहें, पैदल–अनुकूल शहर—सब व्यवहार को आकार देते हैं। साथ ही यह पर्यावरण–अनुकूल आचरण (ऊर्जा बचत, कचरा पृथक्करण) बढ़ाने हेतु सामाजिक मानक, फीडबैक और ``नज'' जैसी रणनीतियाँ प्रयोग करता है। लक्ष्य है स्वास्थ्यकर, समावेशी और टिकाऊ जगहें बनाना जहाँ लोग सुरक्षित, सक्षम और सम्बद्ध महसूस करें।