पर्यावरण संरक्षण में भारत की भूमिका का वर्णन करें।
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अपने उत्तर को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों में विभाजित करके संरचित करें। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और पेरिस समझौते में भारत के योगदान का उल्लेख करना आपके उत्तर को समकालीन और प्रभावशाली बना देगा।
भारत ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाई है। भारत की भूमिका को दो भागों में देखा जा सकता है: 1. राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास:
संवैधानिक प्रावधान: भारत ने 42वें संशोधन (1976) के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 48-A (पर्यावरण की रक्षा और सुधार) और अनुच्छेद 51-A(g) (नागरिकों का कर्तव्य) जोड़कर पर्यावरण संरक्षण को एक संवैधानिक दायित्व बनाया।
कानूनी ढाँचा: भारत ने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढाँचा तैयार किया है, जिसमें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972; जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974; वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980; और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 शामिल हैं।
संस्थागत तंत्र: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) जैसी संस्थाएं पर्यावरण कानूनों को लागू करने का कार्य करती हैं।
राष्ट्रीय कार्य योजनाएं: भारत ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) शुरू की है, जिसमें सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और जल संरक्षण जैसे आठ मिशन शामिल हैं।
2. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका:
वैश्विक संधियों में भागीदारी: भारत ने स्टॉकहोम सम्मेलन (1972) से लेकर पृथ्वी सम्मेलन (1992), क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते (2015) तक लगभग सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया है।
विकासशील देशों का नेतृत्व: भारत ने हमेशा 'साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों' के सिद्धांत की वकालत की है, जिसमें यह तर्क दिया गया है कि विकसित देशों को उनके ऐतिहासिक उत्सर्जन के कारण पर्यावरण संरक्षण में अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): 2015 में भारत और फ्रांस के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की गई। यह सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 120 से अधिक देशों का एक गठबंधन है, जो पर्यावरण संरक्षण में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का एक प्रमुख उदाहरण है।