चरण 1: पुरुषार्थ की परिभाषा।
भारतीय आचार-दर्शन में मनुष्य-जीवन के चार प्रयोजन पुरुषार्थ कहलाते हैं—धर्म (नीतिगत/कर्तव्य-आधारित जीवन), अर्थ (जीविका व संसाधनों की न्यायपूर्ण प्राप्ति), काम (इच्छाओं/रसों की मर्यादित, धर्मानुकूल पूर्ति) और मोक्ष (बंधन-मुक्ति/आध्यात्मिक कल्याण)।
चरण 2: विकल्पों का मिलान।
दिए विकल्पों में धर्म, अर्थ और मोक्ष—तीनों पुरुषार्थ हैं; चौथा पुरुषार्थ काम है जो यहाँ सूची में नहीं दिया गया। 'आत्मा' कोई प्रयोजन नहीं, बल्कि दार्शनिक तत्त्व/सत्ता (self/Ātman) है, जिसके ज्ञान/साक्षात्कार को अनेक दर्शन लक्ष्य मानते हैं। इसलिए आत्मा पुरुषार्थ की सूची में नहीं आता।
चरण 3: निष्कर्ष।
चार पुरुषार्थ = धर्म–अर्थ–काम–मोक्ष; अतः प्रश्नानुसार पुरुषार्थ में नहीं आने वाला विकल्प (1) आत्मा है।