चरण 1: अवधारणा स्पष्ट करें।
अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र वह क्षेत्र है जो सामान्य नैतिक सिद्धान्तों (हितकारी, अहिंसा, न्याय, स्वायत्तता, कर्तव्य आदि) को विशिष्ट सामाजिक-व्यावहारिक संदर्भों में लागू कर निर्णय-मानदण्ड बनाता है। इसका प्रश्न है—"यहाँ और अभी, हमें क्या करना चाहिए?"
चरण 2: प्रमुख शाखाएँ।
(1) व्यवसाय नीतिशास्त्र—कंपनी शासन, हितधारक-न्याय, ईमानदार विज्ञापन, डेटा गोपनीयता, भ्रष्टाचार-विरोध, श्रम-अधिकार इत्यादि पर नैतिक दिशानिर्देश।
(2) पर्यावरणीय नीतिशास्त्र—प्रकृति के अंतर्निहित मूल्य, सततता, जलवायु-न्याय, पीढ़ियों के बीच उत्तरदायित्व, प्रजाति-अधिकार।
(3) जैव-चिकित्सीय नीतिशास्त्र—रोगी-स्वायत्तता, सूचित सहमति, गोपनीयता, जीवन-अंत निर्णय, अंगदान, जनन-प्रौद्योगिकी, एआई/डेटा-चिकित्सा आदि के नैतिक मानक।
चरण 3: निष्कर्ष/उन्मूलन।
उपर्युक्त तीनों ही अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र के मानक उपक्षेत्र हैं; इसलिए सही विकल्प (4) इनमें से सभी।