E.\,H. Chamberlin (1933) ने The Theory of Monopolistic Competition में भेदुकृत (differentiated) उत्पादों, विक्रय‑व्यय और ब्रांड प्रतिस्पर्धा के साथ ऐसे बाजार का विश्लेषण किया जिसमें अनेक फर्में होती हैं, पर प्रत्येक को कुछ मूल्य‑नियंत्रण (market power) प्राप्त होता है।