चरण 1: अवधारणा समझें। 
साम्प्रदायिकता वह प्रवृत्ति है जिसमें धार्मिक/सम्प्रदायिक पहचान को सर्वोपरि मानकर अन्य समुदायों के प्रति शत्रुता, पूर्वाग्रह, और ''हम बनाम वे'' की मानसिकता को बढ़ावा मिलता है। 
चरण 2: इसके वास्तविक परिणाम क्या होते हैं? 
ऐसी राजनीति/मानसिकता से दंगों, हिंसा, अविश्वास, और सामाजिक ध्रुवीकरण का खतरा बढ़ता है। इसलिए यह राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा—दोनों के लिए बाधक बनती है; साथ ही समुदायों के बीच पारस्परिक तनाव बढ़ता है। 
चरण 3: निष्कर्ष—कौन-सा परिणाम नहीं है? 
पारस्पर विश्वास तो साम्प्रदायिकता के विपरीत स्थिति है; साम्प्रदायिकता अविश्वास पैदा करती है, विश्वास नहीं। अतः विकल्प (1) पारस्पर विश्वास—परिणाम नहीं है।