यातायात (road traffic) ध्वनि प्रदूषण का सबसे आम कारण है। वाहनों का शोर, हॉर्न की आवाज़ और इंजन की गड़गड़ाहट शहरों में मुख्यत: ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करती है। विशेषकर व्यस्त सड़कों और शहरों के केंद्रीय इलाकों में यह शोर अत्यधिक बढ़ जाता है। अत्यधिक ट्रैफिक और वाहनों की संख्या के कारण शोर प्रदूषण बढ़ता है, जिससे आसपास के वातावरण और लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसके अतिरिक्त, पटाखे और लाउडस्पीकर जैसे अन्य कारक भी ध्वनि प्रदूषण का कारण बन सकते हैं। विशेष रूप से त्योहारों के दौरान, पटाखों का तेज़ शोर पर्यावरण को प्रभावित करता है, जिससे न केवल ध्वनि प्रदूषण होता है, बल्कि यह वायुमंडलीय प्रदूषण भी उत्पन्न करता है। निर्माण गतिविधियाँ जैसे भवन निर्माण और सड़क मरम्मत कार्य भी ध्वनि प्रदूषण के कारण बनते हैं। इन कार्यों में भारी मशीनों का उपयोग और लगातार शोर का उत्सर्जन होता है, जो पास के क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकता है।
हालांकि, इन सभी कारणों में से यातायात शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रभाव डालता है। यह मुख्य रूप से उस क्षेत्र में वाहनों की अधिकता, सड़क की स्थिति और जनसंख्या घनत्व पर निर्भर करता है। शहरीकरण और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण यातायात की स्थिति और खराब होती जा रही है, जिससे ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
इसलिए, ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, सड़कों पर वाहनों की संख्या को नियंत्रित करना, बेहतर यातायात प्रबंधन, तथा शोर कम करने वाले वाहनों का प्रयोग बढ़ाना जरूरी है। इसके अतिरिक्त, शहरी नियोजन में सुधार और निर्माण कार्यों के दौरान शोर नियंत्रण पर ध्यान देना भी आवश्यक है।