चरण 1: थीइज़्म बनाम नॉन-थीइज़्म समझें। 
ईश्वर-केन्द्रीत (theistic) धर्मों में एक परमेश्वर या देवताओं का अस्तित्व, उनकी उपासना और मुक्ति में उनकी भूमिका केंद्रीय मानी जाती है। ईसाइयत और इस्लाम एकेश्वरवादी हैं, जबकि हिन्दू परम्परा में भी ईश्वर/ईष्ट देव, भक्ति और अवतार का बड़ा स्थान है। 
चरण 2: बौद्ध धर्म की स्थिति। 
बौद्ध धर्म मूलतः अनीश्वरवादी/नॉन-थीइस्टिक है—यह सृष्टिकर्ता ईश्वर की उपासना पर नहीं, बल्कि चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, कर्म, अनित्य, अनात्म जैसे सिद्धान्तों पर आधारित है। देवताओं का वर्णन बौद्ध लोक में हो सकता है, पर वे मुक्ति के हेतु नहीं; साधना, प्रज्ञा और शील से निर्वाण प्राप्त करने पर बल है। 
निष्कर्ष: दिए विकल्पों में जो धर्म ईश्वर-केन्द्रित नहीं है, वह बौद्ध है।