कदम 1: तथ्य याद करें। संथाली भाषा के लिए स्वतंत्र रूप से विकसित लिपि ओलचिकी (Ol Chiki/Ol Cemet') है।
कदम 2: आविष्कारक की पहचान। इसका निर्माण पंडित रघुनाथ मुर्मू ने 1920 के दशक के अंत से 1940 के बीच किया, ताकि संथाली को देवनागरी/रोमन पर निर्भर न रहना पड़े और अपनी ध्वन्यात्मक विशेषताएँ ठीक से लिखी जा सकें।
कदम 3: विकल्प जाँच। जयपाल सिंह एक प्रमुख आदिवासी नेता और खिलाड़ी थे; विश्वनाथ मुर्मू व लाखो बोदरा ओलचिकी के आविष्कारक नहीं माने जाते। इसलिए सही उत्तर रघुनाथ मुर्मू है।