नाद वह ध्वनि है जो ब्रह्म के अस्तित्व को व्यक्त करती है और इसे संगीत में शुद्ध ध्वनि के रूप में माना जाता है। नाद को दो प्रकार से विभाजित किया जाता है: अव्यक्त नाद और व्यक्त नाद। अव्यक्त नाद वह है जो किसी विशेष रूप से उत्पन्न नहीं होती, जबकि व्यक्त नाद वह होती है जिसे किसी वाद्य या स्वर से उत्पन्न किया जाता है। नाद की अवधारणा भारतीय संगीत में विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसे संसार की मूल ध्वनि या ब्रह्म का प्रतिनिधित्व माना जाता है।