Question:

मौलिक अधिकार व राज्य के नीति निदेशक तत्वों के बीच सम्बन्ध बतायें। 
 

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मिनर्वा मिल्स मामले का उल्लेख करना इस प्रश्न के उत्तर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। "एक ही रथ के दो पहिए" वाली उपमा का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि यह उनके पूरक संबंध को सर्वोत्तम रूप से व्यक्त करती है।
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Solution and Explanation

भारतीय संविधान के भाग III में वर्णित मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) और भाग IV में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy - DPSP) के बीच का संबंध जटिल और गतिशील रहा है। ये दोनों मिलकर संविधान की आत्मा और दर्शन का निर्माण करते हैं। इनके बीच के संबंध को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है: 1. प्रकृति में अंतर:
  • मौलिक अधिकार: ये प्रकृति में नकारात्मक हैं, क्योंकि ये राज्य पर कुछ प्रतिबंध लगाते हैं। ये न्यायोचित (justiciable) हैं, अर्थात् इनके उल्लंघन पर नागरिक सीधे न्यायालय की शरण ले सकते हैं। इनका उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
  • नीति निदेशक तत्व: ये प्रकृति में सकारात्मक हैं, क्योंकि ये राज्य को कुछ सकारात्मक कार्य करने का निर्देश देते हैं। ये गैर-न्यायोचित (non-justiciable) हैं, अर्थात् इन्हें न्यायालय द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता। इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
2. पूरक संबंध (Complementary Relationship): शुरुआत में दोनों के बीच टकराव की स्थिति थी, लेकिन न्यायपालिका ने अपने विभिन्न निर्णयों में स्पष्ट किया है कि ये दोनों एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।
  • मौलिक अधिकार नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार प्रदान करते हैं, जबकि निदेशक तत्व उन लक्ष्यों और आदर्शों को निर्धारित करते हैं जिन्हें राज्य को नीतियां बनाते समय ध्यान में रखना चाहिए।
  • मिनर्वा मिल्स मामला (1980): इस ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मौलिक अधिकारों और निदेशक तत्वों के बीच संतुलन और सामंजस्य संविधान के मूल ढांचे का एक हिस्सा है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि "वे एक ही रथ के दो पहिए हैं" और एक के बिना दूसरे का कोई मतलब नहीं है।
3. वरीयता का प्रश्न:
  • सामान्यतः, मौलिक अधिकारों को निदेशक तत्वों पर वरीयता दी गई है।
  • हालांकि, संविधान में कुछ ऐसे संशोधन किए गए हैं (जैसे 25वां और 42वां संशोधन) जिन्होंने कुछ निदेशक तत्वों (विशेषकर अनुच्छेद 39(b) और 39(c)) को लागू करने के लिए बनाए गए कानूनों को मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14 और 19) पर वरीयता दी है।
निष्कर्षतः, मौलिक अधिकार और निदेशक तत्व दोनों एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए आवश्यक हैं। जहाँ मौलिक अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं, वहीं निदेशक तत्व सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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