मार्शल योजना को सिर्फ एक आर्थिक सहायता कार्यक्रम के रूप में न देखें, बल्कि इसे शीत युद्ध के संदर्भ में एक राजनीतिक और रणनीतिक कदम के रूप में भी समझें, जिसका लक्ष्य साम्यवाद को रोकना था।
'मार्शल योजना' (Marshall Plan), जिसका आधिकारिक नाम 'यूरोपीय रिकवरी प्रोग्राम' था, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शुरू की गई एक आर्थिक सहायता पहल थी। इसके दो मुख्य उद्देश्य थे:
पश्चिमी यूरोप का पुनर्निर्माण: इसका प्राथमिक उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध से तबाह हुए पश्चिमी यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खड़ा करना था। अमेरिका ने इन देशों को औद्योगिक और कृषि उत्पादन बढ़ाने, व्यापार को पुनर्जीवित करने और वित्तीय स्थिरता हासिल करने में मदद करने के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता प्रदान की।
साम्यवाद के प्रसार को रोकना: यह योजना शीत युद्ध की शुरुआत में अमेरिका की 'रोकथाम' (containment) की नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। अमेरिका का मानना था कि आर्थिक रूप से कमजोर और अस्थिर देशों में साम्यवाद आसानी से फैल सकता है। इसलिए, पश्चिमी यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करके, अमेरिका वहाँ साम्यवाद के प्रभाव को रोकना चाहता था।