"लेवत मुख में घास मृग, मोर तजत नृत जात। आँसू गिरियत जर लता, परि-परि पात ।।" उक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
यह पंक्तियाँ यमक अलंकार का उदाहरण हैं। यमक अलंकार तब होता है जब एक ही शब्द का दो अलग-अलग अर्थों में प्रयोग किया जाता है, और यह एक साथ वाक्य में उपस्थित होता है। 'पात' शब्द का एक अर्थ 'पत्तियाँ' से लिया गया है और दूसरा अर्थ 'पतन' से। इस प्रकार 'पात' का दो अर्थों में प्रयोग होने के कारण यह यमक अलंकार है।
‘रूपक’ अलंकार का उदाहरण संस्कृत में लिखिए।
‘उपमा’ अलंकार की परिभाषा हिंदी या संस्कृत में लिखिए।
अधोलिखित में से किसी एक श्लोक की हिंदी में सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
पुराणश्री: पुरस्त्वतां प्रवेश्य पौरशिन्ध्यान्मन्।
भुजे भुजंस्त्रसमानारो यथ: स भूमृधीरसस्मजज
अधोलिखित में से किसी एक श्लोक की हिंदी में सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
एतावदुक्त्वा विरते मृगेन्द्रे प्रतिक्वेना गृहाणते।
सिलोन्यवोऽपि क्षितिपालमुखे: प्रियया तमेवाभिमृच्छते॥
उपमालङ्कारस्य लक्षणम् एतत् क्रमेण व्यवस्थापयत ।
(A) उपमा
(B) वाक्यैक्य
(C) साम्यम्
(D) द्वयोः
(E) वाच्यमवैधर्म्यम्
अधोलिखितेषु विकल्पेषु उचिततमम् उत्तरं चिनुत-