स्पष्टीकरण:
राग भैरवी में ऋषभ, गांधार, धैवत और निषाद कोमल स्वर होते हैं, जो इसे अन्य रागों से भिन्न और अत्यधिक मधुर बनाते हैं। इन कोमल स्वरों का प्रयोग राग भैरवी को एक गहरी, भावनात्मक और संतुलित ध्वनि प्रदान करता है, जो श्रोताओं को एक शांतिपूर्ण और ध्यानमग्न स्थिति में ले जाता है।
- ऋषभ (Re), गांधार (Ga), धैवत (Dha) और निषाद (Ni) इन चार स्वरों को कोमल रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो राग के आरोह और अवरोह में अपनी विशेषता के साथ सुनाई देते हैं।
- इन कोमल स्वरों के प्रयोग से राग भैरवी को एक विशेष प्रकार की मिठास और नम्रता मिलती है, जो उसे अन्य रागों से अलग बनाती है।
राग भैरवी का गायन आमतौर पर प्रातःकाल में किया जाता है, और इसके स्वर शांति, भक्ति और संतुलन को व्यक्त करते हैं। यह राग मानसिक और आत्मिक शांति का प्रतीक माना जाता है।
इस प्रकार, राग भैरवी में ऋषभ, गांधार, धैवत और निषाद कोमल स्वर होते हैं, जो इसे भिन्न और मधुर बनाते हैं, और इसकी एक विशिष्ट पहचान बनाते हैं।