स्पष्टीकरण:
राग बिहाग में 'रे' तथा 'प' स्वर का प्रयोग नहीं होता है।
- राग बिहाग भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख और लोकप्रिय राग है, जो आमतौर पर रात्रि के समय गाया जाता है। यह राग गंभीर और भावपूर्ण होता है, जिसमें मधुरता और शांति का अहसास होता है।
- इस राग में 'रे' (ऋषभ) और 'प' (पंचम) स्वर का प्रयोग नहीं होता, जो इस राग को अन्य रागों से विशिष्ट बनाता है। इस विशेषता के कारण राग बिहाग की रचनात्मकता और स्वर-संरचना अलग होती है।
- राग बिहाग का आरोह और अवरोह संरचना में 'सा' (शुद्ध) और 'नि' (कोमल निषाद) का प्रमुख स्थान होता है, और इसका स्वरूप अत्यधिक सरल और मधुर होता है।
- राग बिहाग का भाव मुख्य रूप से उल्लास, आनंद, और विश्राम से जुड़ा होता है। इसमें गायक या वादक संगीत के स्वरों के बीच न्यूनतम बदलाव के साथ इसका प्रदर्शन करते हैं।
इस प्रकार, राग बिहाग में 'रे' और 'प' स्वर का प्रयोग नहीं होता, जो इसे अन्य रागों से एक अलग पहचान और स्वरात्मक प्रभाव देता है।