Question:

किस राग में गांधार और निषाद कोमल हैं ?

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रागों में स्वर के प्रकार (शुद्ध, कोमल, तीव्र) याद रखें, जो उनके भाव और पहचान को निर्धारित करते हैं।
  • काफी
  • खमाज
  • बिहाग
  • केदार
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

स्पष्टीकरण: राग केदार में गांधार (ग) और निषाद (नि) स्वर कोमल (मद्धम) होते हैं। - राग केदार भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जो आध्यात्मिक और भावनात्मक भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रसिद्ध है। इसे कैलास और शांतिपूर्ण राग माना जाता है, और इसका गायन विशेष रूप से रात्रि के समय किया जाता है। - इस राग के आरोह (चढ़ाव) और अवरोह (उतराव) में गांधार (ग) और निषाद (नि) दोनों ही स्वर कोमल होते हैं। इसका मतलब है कि इन दोनों स्वरों का स्वरूप सामान्य से हल्का और मद्धम होता है, जो राग को एक मुलायम और विशेष प्रभाव प्रदान करता है। - कोमल गांधार (ग) और कोमल निषाद (नि) के प्रयोग से राग केदार का स्वर एक मधुर और उदासी का अहसास देता है, जो श्रोता के हृदय को शांति और स्थिरता का अनुभव कराता है। यह राग मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति उत्पन्न करता है। - राग केदार का स्वर रूप उसकी कोमलता और नम्रता से भरा होता है, और यही कारण है कि इस राग में गांधार और निषाद का कोमल होना इसे अधिक भावनात्मक और आध्यात्मिक बनाता है। - राग केदार में इन दोनों कोमल स्वरों के प्रयोग से तंत्र और वेदिक संगीत की दिशा को महसूस किया जा सकता है, जो आध्यात्मिक उन्नति और मनोविकृति से मुक्ति की प्रक्रिया को उजागर करते हैं। इस प्रकार, राग केदार में गांधार (ग) और निषाद (नि) स्वर कोमल (मद्धम) होते हैं, जो इसे एक आध्यात्मिक, मुलायम और भावनात्मक राग बनाते हैं।
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