खाद्य का सड़ना उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें भोजन में विभिन्न रासायनिक और जैविक परिवर्तन होते हैं, और वह अप्रयुक्त या असुरक्षित हो जाता है। यह वह अवस्था होती है जब भोजन का स्वाद, गंध, बनावट और पोषक तत्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। सड़ने के दौरान, भोजन में बैक्टीरिया, फफूंद, और अन्य सूक्ष्मजीवों का विकास होता है, जो भोजन को खराब करते हैं।
सड़ने की प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार के जैविक बदलाव होते हैं:
बैक्टीरिया का विकास: कुछ बैक्टीरिया जैसे सल्मोनेला और ई. कोलाई भोजन में उत्पन्न होकर उसे हानिकारक बना सकते हैं। ये बैक्टीरिया भोजन को सड़ाते हैं और खाद्य विषाक्तता का कारण बन सकते हैं।
फफूंद और यीस्ट का विकास: विशेष रूप से नमी वाले वातावरण में, फफूंद और यीस्ट का विकास होता है, जो भोजन के रंग, बनावट और गंध को प्रभावित करते हैं।
रासायनिक परिवर्तन: सड़ने की प्रक्रिया में खाद्य पदार्थों के रासायनिक संघटन में परिवर्तन होते हैं, जैसे कि वसा का रासायनिक अपघटन (rancidity), जो भोजन के स्वाद को बिगाड़ता है।
इस प्रक्रिया को बासी (Spoilage) कहा जाता है, और यह भोजन को खाने के लिए सुरक्षित नहीं बनाता है। सड़ा हुआ भोजन न केवल अप्रिय होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। सड़े हुए भोजन में रोगाणुओं का विकास होता है, जो खाद्य विषाक्तता और पेट संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
खाद्य के सड़ने को रोकने के लिए कई उपाय किए जाते हैं:
ठंडा करना (Refrigeration): ठंडे तापमान पर भोजन को संरक्षित करना सूक्ष्मजीवों के विकास को धीमा करता है।
पैकिंग और सीलिंग: भोजन को सील पैक में रखना हवा और नमी से बचाता है, जिससे सड़न की प्रक्रिया कम होती है।
स्मोकिंग और डिहाइड्रेशन: कुछ खाद्य पदार्थों को धुएं में पकाने या सुखाने से बैक्टीरिया और फफूंद का विकास रुकता है।
संवेदनशीलता की पहचान: सड़े हुए या बासी भोजन की पहचान करने के लिए उसकी गंध, रंग और स्वाद का ध्यान रखना चाहिए।
इस प्रकार, खाद्य सड़न एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसे नियंत्रित करने और रोकने के लिए उचित सावधानियाँ और तकनीकों का पालन करना आवश्यक होता है।