स्पष्टीकरण:
अल्हैया बिलावल राग अपराह्न (दोपहर) काल में गाया-बजाया जाता है।
- अल्हैया बिलावल राग बिलावल थाट का प्रमुख राग है, जिसे साफ, स्मृतिपूर्वक, और साधारण राग माना जाता है। इस राग का स्वरूप सरल और शुभ है, और यह शांति एवं प्रसन्नता का संचार करता है।
- राग अल्हैया बिलावल को विशेष रूप से दोपहर के समय गाया जाता है, जिसे अपराह्न काल भी कहते हैं। इस समय वातावरण में ठंडक और हल्का प्रकाश होता है, जो इस राग के स्वरूप को और अधिक प्रभावी बनाता है।
- राग अल्हैया बिलावल का गायन और वादन नम्रता और प्रसन्नता से भरा होता है, और यह श्रोता को शांति, संतुलन, और मानसिक स्थिरता की अनुभूति कराता है।
- इस राग के गायन में मूल स्वर जैसे सा, रे, गा, मा, पा, धि, और नि शामिल होते हैं, जो इसे ध्यान और प्रसन्नता का अहसास दिलाते हैं। इस राग के आरोह और अवरोह में सभी स्वर शुद्ध होते हैं, जो इसे और अधिक प्रसन्न और उज्जवल बनाते हैं।
- राग अल्हैया बिलावल की विशेषता है कि इसका संगीत वातावरण में एक दूरदर्शिता, विश्राम, और आत्मिक शांति का संचार करता है, जो इसे दिन के मध्यकाल में गाने के लिए आदर्श बनाता है।
इस प्रकार, अल्हैया बिलावल राग अपराह्न (दोपहर) काल में गाया-बजाया जाता है, और इसका संगीत उस समय के वातावरण में शांतिपूर्ण और मन को प्रसन्न करने वाला होता है।