कालिदास की कृतियों में "अभिज्ञानशाकुंतल" को विशेष स्थान प्राप्त है। यह काव्य रचनात्मकता, शृंगारी रस और मानवीय भावनाओं की उत्कृष्ट मिसाल है। अभिज्ञानशाकुंतल का कथानक एक सुंदर प्रेम कहानी है, जिसमें राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी के माध्यम से जीवन के दुख और सुख को प्रस्तुत किया गया है।
अभिज्ञानशाकुंतल का चौथा अंक बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस अंक में दुष्यंत और शकुंतला के बीच पुनर्मिलन की कहानी है। इसमें शकुंतला की दीक्षा और उसके द्वारा याद किए गए रिश्ते के बाद दुष्यंत के द्वारा अपनी भूल का अहसास होता है। यह अंक प्रेम, पछतावा, और विश्वास की भावना को उजागर करता है। यह अंक दर्शाता है कि समय और परिस्थिति ने दोनों के रिश्ते में कितनी मुश्किलें पैदा की हैं, लेकिन अंत में प्रेम की शक्ति और विश्वास के साथ उनका मिलन होता है।
इस अंक का संदेश यह है कि जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन सच्चा प्रेम और विश्वास हमेशा जीतते हैं। इस अंक में कालिदास ने प्रेम की अद्वितीय ताकत को दिखाया है, जो हर रुकावट को पार कर सकता है।