चरण 1: सिद्धान्त का उद्गम। 
जनसंख्या संक्रामण सिद्धान्त को वॉरेन थॉम्पसन ने 1929 में रूपरेखित किया और फ्रैंक डब्ल्यू. नॉटस्टीन ने 1940–50 के दशक में इसे व्यवस्थित कर लोकप्रिय बनाया। 
चरण 2: मूल विचार। 
आर्थिक–सामाजिक आधुनिकीकरण के साथ समाज जन्म–मृत्यु दर के पैटर्न में चरणबद्ध परिवर्तन से गुजरता है— 
1) उच्च स्थिर चरण: जन्म व मृत्यु, दोनों ऊँची ⇒ वृद्धि धीमी। 
2) आरम्भिक संक्रमण चरण: मृत्यु घटती, जन्म ऊँचा ⇒ तेज़ वृद्धि। 
3) द्वितीय संक्रमण चरण: जन्म भी घटता ⇒ वृद्धि मंद। 
4) निम्न स्थिर चरण: जन्म–मृत्यु दोनों निम्न ⇒ स्थिर/कम वृद्धि (कई लेखक पाँचवाँ—नकारात्मक वृद्धि—भी जोड़ते हैं)। 
चरण 3: निष्कर्ष। 
इसलिए सिद्धान्त के प्रमुख प्रतिपादक थॉम्पसन और नॉटस्टीन हैं; माल्थस–मार्क्स अलग दृष्टिकोण देते हैं (जनसंख्या विस्फोट/आर्थिक संघर्ष), न कि डेमोग्राफिक ट्रांज़िशन।