GST का उद्देश्य कर तंत्र सरल बनाकर एक समान राष्ट्रीय बाजार बनाना है। वैट सिद्धान्त पर आधारित होने से हर चरण में केवल मूल्य‑वर्धन करयोग्य होता है; आपूर्ति श्रृंखला में दिए गए कर को ITC के रूप में घटा लिया जाता है। भारत में वस्तु‑सेवा की आपूर्ति पर राज्य के भीतर लेनदेन में CGST+SGST लगते हैं, जबकि राज्य‑के‑पार आपूर्ति पर IGST लगता है जो क्रेडिट योग्य है। पंजीकरण, रिटर्न, ई‑वे बिल और मिलान प्रणाली अनुपालन को डिजिटल बनाते हैं। लाभ: करों का समेकन, कास्केडिंग में कमी, प्रतिस्पर्धा और लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार। चुनौतियाँ: दर संरचना, रिफंड समय, छोटे व्यापारों की अनुपालन लागत। परीक्षा में लिखें—destination‑based, dual, value‑added, ITC।