Question:

दिए गए संग्रहालय नमूना (C) के मरुस्थलीय अनुकूलन का वर्णन करें। 
(C) → विशधर सर्प (Rattle snake) अथवा रेगिस्तानी छिपकली (Desert lizard) 
 

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Xerophytic adaptation में सबसे महत्त्वपूर्ण हैं – मोटी त्वचा, जल की बचत, छद्मावरण, और रात में सक्रिय रहना।
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Solution and Explanation

Step 1: परिचय.
मरुस्थलीय (Xerophytic) अनुकूलन वे विशेषताएँ हैं जिनसे जीव कम पानी और अत्यधिक गर्मी वाली परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं। रैटल स्नेक और रेगिस्तानी छिपकली दोनों ही शुष्क वातावरण के अनुकूलित जीव हैं।

Step 2: रैटल स्नेक (Rattle Snake) के अनुकूलन.
- इसका शरीर शुष्क वातावरण में जल की हानि को रोकने के लिए मोटी और केराटिनयुक्त चमड़ी से ढका होता है।
- यह दिन की अधिक गर्मी से बचने के लिए प्रायः रात (nocturnal) में सक्रिय रहता है।
- चूहों और छोटे स्तनधारियों का आहार बनाकर यह रेगिस्तान के खाद्य-जाल को संतुलित करता है।
- शरीर की आकृति लंबी और शुष्क रेत पर रेंगने के अनुकूल होती है।

Step 3: रेगिस्तानी छिपकली (Desert Lizard) के अनुकूलन.
- इनकी त्वचा मोटी, सूखी और केराटिनयुक्त होती है जिससे जल की हानि नहीं होती।
- धूप की तीव्रता से बचने के लिए ये रेत में बिल बना लेती हैं।
- आहार के रूप में ये कीटभक्षी होती हैं और पानी की कमी को चयापचय (metabolism) से प्राप्त करती हैं।
- शरीर का रंग अक्सर रेत जैसा (भूरा या हल्का पीला) होता है, जो छद्मावरण (camouflage) प्रदान करता है।

Step 4: निष्कर्ष.
रैटल स्नेक और रेगिस्तानी छिपकली दोनों ही मरुस्थल में जीवित रहने के लिए विशेष शारीरिक एवं व्यवहारिक अनुकूलन दिखाते हैं। ये अनुकूलन इन्हें कठोर जलवायु, जल की कमी और गर्मी में जीवन संभव बनाने में सहायक होते हैं।

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