चेक एक बैंक के माध्यम से भुगतान का एक वैध रूप होता है। यह एक लिखित आदेश होता है, जो एक खाता धारक द्वारा उसके बैंक को दिया जाता है, जिसमें बैंक को निर्देश दिया जाता है कि वह एक निर्दिष्ट राशि को दूसरे व्यक्ति या संस्था के खाते में स्थानांतरित करे। चेक का उपयोग सामान्यत: धन की लेन-देन में किया जाता है और यह सुरक्षित भुगतान का एक तरीका माना जाता है।
डिमांड चेक वह चेक होते हैं जो किसी भी समय चुकता किए जा सकते हैं। इनका भुगतान तुरंत किया जाता है जब वे बैंक में प्रस्तुत किए जाते हैं। डिमांड चेक को सीधे चुकता चेक (Payable on Demand) भी कहा जाता है क्योंकि इन चेकों का भुगतान बिना किसी देरी के तुरंत किया जाता है। जब चेक धारक इसे अपने बैंक में प्रस्तुत करता है, तो बैंक उस राशि को तुरंत भुगतान कर देता है, बशर्ते कि खाता में पर्याप्त राशि हो। यह चेक मुख्य रूप से व्यापारिक लेन-देन, व्यक्तिगत लेन-देन और सरकारी भुगतान के लिए उपयोग में आते हैं।
इसके अलावा, चेक के कुछ अन्य प्रकार भी होते हैं:
वैध चेक (Valid Check): यह एक चेक होता है जिसे सभी बैंकिंग प्रक्रियाओं और नियमों का पालन करते हुए जारी किया गया हो। इसके द्वारा की जाने वाली लेन-देन को बैंक द्वारा स्वीकार किया जाता है, बशर्ते खाते में पर्याप्त धन हो।
सिग्नेचर चेक (Signature Check): यह एक चेक होता है जो केवल उस व्यक्ति के हस्ताक्षर से वैध होता है, जिसके नाम पर चेक जारी किया गया है। यदि चेक पर हस्ताक्षर सही नहीं होते हैं, तो चेक को अमान्य मान लिया जाता है।
कॉर्पोरेट चेक (Corporate Check): यह चेक किसी कंपनी या संस्थान द्वारा जारी किया जाता है, जिसमें कंपनी का नाम और विवरण होता है। ये चेक विशेष रूप से व्यापारिक लेन-देन में उपयोग होते हैं।
डिमांड चेक को अन्य प्रकार के चेकों के मुकाबले सबसे सामान्य और तत्काल भुगतान के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चेक एक सुरक्षित और विश्वसनीय तरीका है भुगतान करने का, क्योंकि इसे बैंक द्वारा प्रमाणित किया जाता है और यह गुम हो जाने या चोरी होने पर आसानी से रद्द किया जा सकता है।
इस प्रकार, चेक एक वित्तीय उपकरण है, जो भुगतान और धन हस्तांतरण की प्रक्रिया को सरल, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाता है।