सरल द्विक्षेत्रीय मॉडल में परिवार कारक सेवाएँ फर्मों को देते हैं और बदले में आय पाते हैं; यही आय वस्तु बाज़ार में उपभोग व्यय बनकर फर्मों को जाती है। यह धन प्रवाह और वस्तु प्रवाह निरंतर वृत्त बनाते हैं। तीन और चार‑क्षेत्रीय मॉडलों में सरकार और विदेशी क्षेत्र जुड़ते हैं, जहाँ लीकेज (बचत, कर, आयात) तथा इंजेक्शन (निवेश, सरकारी व्यय, निर्यात) संतुलन को तय करते हैं। यदि इंजेक्शन अधिक हों तो आय बढ़ती है, अन्यथा घटती है। बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय बाज़ार इस प्रवाह को मध्यस्थता देकर प्रभावी बनाते हैं। यह ढांचा राष्ट्रीय आय की मापन विधियों और गुणक सिद्धान्त को समझने का आधार है।