भारतीय दर्शन में 'पुरुषार्थ' का क्या अर्थ है?
Step 1: समन्वित दृष्टि.
मानव आकांक्षाएँ केवल भोग या केवल त्याग नहीं; भारतीय सिद्धान्त संतुलित चार लक्ष्यों का प्रस्ताव करता है।
Step 2: पदानुक्रम.
धर्म आधार है—अर्थ/काम की वैधता धर्म से; मोक्ष परम-लक्ष्य।
Step 3: जीवन-प्रयोग.
विद्यार्थी–गृहस्थ–वानप्रस्थ–संन्यास के चरणों में पुरुषार्थ-प्राथमिकताएँ बदलती, पर धर्म/मोक्ष का अभिमुख बना रहता है।
Step 4: निष्कर्ष.
पुरुषार्थ-सिद्धान्त व्यक्ति और समाज दोनों की समग्र उन्नति का संतुलित, दीर्घजीवी ढाँचा है।