Question:

भारत के संविधान के किस भाग को संविधान की 'आत्मा' कहाँ जाता है ?

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इस प्रश्न के दो संभावित उत्तरों के बीच के अंतर को समझें। यदि प्रश्न सामान्य रूप से "संविधान की आत्मा" के बारे में है, तो उत्तर 'प्रस्तावना' है। यदि प्रश्न विशेष रूप से डॉ. बी.आर. अंबेडकर के दृष्टिकोण के बारे में पूछता है, तो उत्तर 'अनुच्छेद 32' है।
  • मूल अधिकार
  • राज्य के नीति निदेशक तत्व
  • प्रस्तावना
  • मूल कर्तव्य
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Concept:
यह प्रश्न भारतीय संविधान के उस हिस्से की पहचान करने के बारे में है जिसे अक्सर इसकी "आत्मा" के रूप में वर्णित किया जाता है, क्योंकि यह संविधान के मूल दर्शन और उद्देश्यों को समाहित करता है।
Step 2: Detailed Explanation:
प्रस्तावना (Preamble): भारतीय संविधान की प्रस्तावना को "संविधान की आत्मा" कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह संविधान के मूल सिद्धांतों, आदर्शों और दर्शन को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। यह उन उद्देश्यों को बताती है जिन्हें संविधान स्थापित करना और बढ़ावा देना चाहता है, जैसे न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व।
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को "संविधान का हृदय और आत्मा" कहा था। उनका तर्क था कि इस अधिकार के बिना अन्य मौलिक अधिकार अर्थहीन हो जाते हैं, क्योंकि यह नागरिकों को अपने अधिकारों के हनन पर सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
हालांकि, जब प्रश्न सामान्य रूप से "संविधान की आत्मा" के बारे में पूछता है, तो पारंपरिक और व्यापक रूप से स्वीकृत उत्तर "प्रस्तावना" ही होता है।
Step 3: Final Answer:
संविधान की प्रस्तावना को संविधान की 'आत्मा' कहा जाता है।
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