Deflationary gap वह अंतर है जो पूर्ण रोजगार पर संभाव्य उत्पादन पर आवश्यक संचयी माँग और वास्तविक संचयी माँग के बीच रह जाता है। इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में कुल माँग अपर्याप्त है, परिणामस्वरूप बेरोजगारी और उत्पादन क्षमता का अपूर्ण उपयोग होता है।
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Top Questions on Determination of Income and Employment