आर्थिक पक्ष:
कारखानों में मशीनों/विभाजन-श्रम से उत्पादकता बढ़ती, लागत घटती और निर्यात/निवेश बढ़ता है; सहायक उद्योग, सेवा क्षेत्र व आधारभूत ढाँचा (परिवहन/ऊर्जा) विकसित होते हैं।
सामाजिक पक्ष:
ग्रामीण-शहरी पलायन से परिवार/समाज की संरचना बदलती; नए अवसर और साथ ही कौशल-अंतर, अस्थिर रोजगार व झुग्गियाँ उभर सकती हैं।
पर्यावरणीय पक्ष:
उत्सर्जन, अपशिष्ट, जल/वायु प्रदूषण और संसाधन-उपभोग बढ़ता है।
संतुलन:
स्वच्छ ऊर्जा, प्रदूषण मानक, श्रम-कानून, कौशल प्रशिक्षण, नगरीय नियोजन व सामाजिक सुरक्षा से लाभ अधिकतम और लागत न्यूनतम की जा सकती है।