अधिशेष माँग वह स्थिति है जब पूर्ण रोजगार पर संभाव्य आउटपुट की कीमतों पर माँग अधिक हो जाती है। इसके स्रोत समझें। प्रथम, वित्तीय विस्तार—सरकारी व्यय, सब्सिडी, वेतन‑भत्ते या कर कटौती से प्रयोज्य आय और माँग बढ़ती है। द्वितीय, मौद्रिक विस्तार—निम्न ब्याज दरें, ऋण ढील और उच्च क्रेडिट ग्रोथ निवेश तथा उपभोग को बढ़ाती है। तृतीय, बाह्य माँग जैसे निर्यात उछाल और विनिमय दर प्रभाव। इसके परिणामस्वरूप कीमतों पर उर्ध्व दबाव, आयात में वृद्धि, और उत्पादन क्षमता पर तनाव दिखाई देते हैं। सुधार हेतु सरकार खर्च घटाती या कर बढ़ाती है तथा केंद्रीय बैंक दरें/CRR बढ़ाकर तरलता सिकोड़ता है।