अतिरेक माँग वह स्थिति है जब पूर्ण‑रोज़गार के निकट समग्र माँग \((AD)\) संभाव्य उत्पादन से ऊपर चली जाती है; इसे स्फीतिक अंतराल भी कहते हैं। अल्पावधि में फर्में ओवरटाइम, स्टॉक‑घटाने और उच्च क्षमता उपयोग से उत्पादन कुछ बढ़ाती हैं, किंतु आपूर्ति लोच सीमित होने से कीमतों में तेज वृद्धि होती है। परिणाम: माँग‑खींच मुद्रास्फीति, संसाधनों पर दबाव, आयात में बढ़ोतरी, वितरण में विकृति। सुधार हेतु सरकार व्यय घटाती/कर बढ़ाती, केंद्रीय बैंक रेपो/CRR बढ़ाकर तरलता सिकोड़ता और क्रेडिट नियंत्रित करता है। दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था संभाव्य उत्पादन पर लौटती है, पर उच्च मूल्य‑स्तर स्थायी रह सकता है।
% Topic - macro stabilization (excess demand effects)