स्पष्टीकरण:
कल्याण राग को आश्रय राग भी कहा जाता है क्योंकि यह कई अन्य रागों का आधार होता है। कल्याण राग का संगीत शास्त्र में विशेष महत्व है और यह रागों के परिवार का प्रमुख सदस्य माना जाता है। यह राग विभिन्न उपरागों का जनक है, जो शास्त्रीय संगीत में उनके मौलिक स्वरूप और भावनात्मक अभिव्यक्ति को परिभाषित करते हैं।
कल्याण राग में तीव्र मध्यम (Ma) का प्रयोग होता है, और यह राग अपने शांत, भावनात्मक और गंभीर रूप के लिए प्रसिद्ध है। इसके आरोह (चढ़ाव) और अवरोह (उतराव) में समाहित स्वर सा, रे, गां , मध, प , ध और नी होते हैं। इन स्वर की विशेष संयोजना इसे अत्यधिक निरंतर और संगीतात्मक बनाती है।
इस राग का उपयोग विशेष रूप से रात्रि के समय होता है, और यह संगीत के भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप में उत्साह, शांति, और संवेदनशीलता का संतुलन प्रस्तुत करता है।
कल्याण राग की महत्ता इस बात में है कि यह अन्य रागों के संरचनात्मक और भावनात्मक आधार के रूप में कार्य करता है। यह कई अन्य रागों जैसे यमन, बिलावल, दर्शन आदि का स्त्रोत है और इन रागों की मूल भावना और स्वर को परिभाषित करता है।
इस प्रकार, कल्याण राग को आश्रय राग कहा जाता है क्योंकि यह कई रागों का आधार होता है और शास्त्रीय संगीत में इसके द्वारा उत्पन्न होने वाले रागों की पूरी श्रृंखला का प्रभाव श्रोताओं पर पड़ता है।