Step 1: Understanding the Concept:
यह प्रश्न 'अलम्' अव्यय के साथ प्रयोग होने वाली विभक्तियों के बारे में है। 'अलम्' के दो मुख्य अर्थ होते हैं, और प्रत्येक अर्थ के साथ एक अलग विभक्ति का प्रयोग होता है। यह उपपद विभक्ति का एक महत्वपूर्ण नियम है।
Step 2: Detailed Explanation:
'अलम्' के दो अर्थ और उनके साथ प्रयुक्त विभक्तियाँ इस प्रकार हैं:
'मना करना' या 'निषेध' के अर्थ में: जब 'अलम्' का प्रयोग 'मत करो' या 'बस करो' के अर्थ में होता है, तो इसके साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। \(\underline{उदाहरण:} \)अलं विवादेन। (विवाद मत करो।) अलं हसितेन। (हँसो मत।) यह कथन (B) से मेल खाता है।
'पर्याप्त' या 'समर्थ' के अर्थ में: जब 'अलम्' का प्रयोग 'काफी है' या 'समर्थ है' के अर्थ में होता है, तो इसके साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। \underline{उदाहरण:} रामः रावणाय अलम्। (राम रावण के लिए पर्याप्त/समर्थ हैं।) दैत्येभ्यः हरिः अलम्। (दैत्यों के लिए हरि पर्याप्त हैं।) यह कथन (C) से मेल खाता है।
द्वितीया और पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग 'अलम्' के साथ नहीं होता है।
Step 3: Final Answer:
अतः, 'अलम्' के योग में तृतीया (B) और चतुर्थी (C) दोनों विभक्तियों का प्रयोग होता है। सही विकल्प (2) है।
'अलम्' इत्यस्य योगे का विभक्तिः प्रयुज्यते ?
(A) द्वितीया
(B) तृतीया
(C) चतुर्थी
(D) पञ्चमी
अधोलिखितेषु विकल्पेषु उचिततमम् उत्तरं चिनुत -
'______ नमः ।' इत्यत्र रिक्तस्थानं पूरयत ।
_____ सह अहं न गमिष्यामि ।' इत्यत्र रिक्तस्थानं पूरयत ।
निम्नलिखितेषु कस्य योगे चतुर्थी-विभक्तिः भवति ?
(A) विना
(B) धिक्
(C) स्वस्ति
(D) स्वाहा
अधोलिखितेषु विकल्पेषु उचिततमम् उत्तरं चिनुत-